लव- जेहाद की
चर्चा पूरे देश में हाईकोर्ट से लेकर मिडिया तक में चर्चा का विषय बना हुआ है,
अब हिन्दू समाज सोचने को मजबूर हो रहा है मुसलमानों की
विश्वसनीयता कटघरे में है सरकारी आकडे के अनुसार १९५१-५२ में मदरसों की संख्या
केवल ८८ थी सन २ हज़ार के दसक में यह संख्या २० हज़ार के आस -पास हो गयी उस फसल का
परिणाम इस समय दिखाई दे रही है, इस समय मदरसों की संख्या एक लाख हो गयी है,
भारत के प्रमुख शहरो के मदरसों में बड़ी संख्या में मोटर
साईकिल रखी जाती है जिसका उपयोग लव जेहाद में प्रयोग किया जाता है पटना,
मुजफ्फरपुर, लखनऊ जैसे शहरो में २५ से लेकर सौ मोटर साइकिल तक योजना
बद्ध रखा जाता है प्रातः ८ से दस बजे -सायम कालेज बंद होने के समय कुछ लडको ( दाढ़ी
बनाने,
कपडा सिलने, पंचर बनाने वाले) को साधन उपलब्ध कराकर हिन्दू लडकियों के
पीछे लगा दिया जाता है कालेज के सामने सौंदर्य प्रसाधन,
मुस्लिम मोवाइल रिचार्ज की दुकान खोलता है और हिन्दू
लडकियों के नंबर नोटकर उसका गलत उपयोग करता है यह सबकी योजना और पूंजी लगाने का
काम स्थानीय मस्जिद करती है जो ISI की योजना का एक हिस्सा है .
इस समय मदरसों से शिक्षित नवजवान जिन्हें
इस्लाम का जूनून सवार रहता है शिक्षा समाप्त होने पर मदरसे में सपथ दिलाई जाती है
कि इस्लाम ने तुम्हारे ऊपर इतना धन लगाया है तुम इस्लाम को क्या दोगे ?
उसके उत्तर में उन्हें एक न एक हिन्दू लड़की से निकाह हेतु
प्ररित किया जाता है फिर क्या है ? वे अपनी इस्लामिक उद्देश्य में जुट जाते है,
अपना नाम राजू, टामी, कामी, बबलू इत्यादि रख लेते है हाथ में रक्षा सूत्र जैसा कुछ बाध
लेते है जिससे पता ही नहीं चलता कि ये हिन्दू है या मुसलमान,
चाहे केरल हो या कोई अन्य प्रदेश सभी जगह समान तरीके से लव
जेहाद चलाया जा रहा है प्रति वर्ष एक लाख हिन्दू लडकियों को फसाकर निकाह के माध्यम
से इस्लामीकरण किया जाता है फिल्म जगत में जितने खान बंधू है अथवा बीजेपी के
अल्पसंख्यक नेता सभी हिन्दू लड़की से निकाह करना, बच्चे पैदा करना -छोड़ना और फिर दूसरी हिन्दू लड़की से निकाह
करना आखिर ये सब क्या है ? क्या इन्हें मुस्लिम लड़की नहीं मिलती ? केरल के हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि ''ये लव नहीं ये लव जेहाद है''.
एक तरफ बंगलादेशियो के घुसपैठ की बाढ़
जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है गाव के सारे रोजगारो पर बंग्लादेसियो का कब्ज़ा हो
गया है,
दूसरी तरफ लव जेहाद की तमाम घटनाये आये दिन होती जा रही है
मै झारखण्ड प्रदेश के प्रवास पर था वहा पर ग्रामीण क्षेत्र में मेरा रुकना हुआ तो
यह समझ में आया की ये बीमारी कितना जड़ जमाये हुए है पहले तो केरल के हाईकोर्ट,
अनेक पत्र- पत्रिकाओ ने कहा- लिखा इंडिया टुडे जैसी
प्रतिष्ठित पत्रिका ने भी इस पर सवाल उठाये लेकिन झारखण्ड के पलामू जिले के
क्षतरपुर विकाश खंड की घटना ने तो हिन्दू समाज को हिला कर रख दिया है,
उस बिकाश खंड में मुस्लिम आवादी १५ प्रतिशत है ब्लाक केंद्र
पर न के बराबर आस-पास कुछ मुस्लिम गाव भी है हिन्दुओ का स्वभाव उदारता का रहता ही
है उसका लाभ उठाकर कोई मुस्लिम लड़का कोचिंग पढ़ने के बहाने आया तो पढने वाली लड़की
को प्रेम जाल में फसाकर भगा ले गया यही नहीं तो कुछ लोग हिन्दुओ से सम्बन्ध बनाकर
किराये पर दुकान लिया फिर उसी की लड़की भगा ले गया. रेंगनिया गाव के नागेन्द्र
चंद्रबंसी की लड़की नेहा को मुबारक नाम के मुस्लिम युवक कोचिंग के बहाने ले गया,
नवडीहा के रूबी कुमारी अखिलेश की लड़की को तवरेज अंसारी
[नवडीहा],
निरंजन कुमार सिंह की लड़की काजल को खालिर वही दुकान करते
-करते भगा ले गया ये सारे घटना क्रम एक माह के भीतर के है हिन्दू समाज की बड़ी
भयावह हो गयी है.
इसमें मुसलमानों का कोई दोष नहीं है वे
तो कुरान की आदेश का पालन कर रहे है कुरान कहता है की ''हे मोमिनो काफिरों की बहन-बेटिया तुम्हारे खेत की मूली है
तुम जैसा चाहो वैसा उपयोग करो, आगे कुरान कहता है की काफिरों को कभी मित्र मत बनाओ जहा
मिले उन्हें क़त्ल कर दो, इन्हें तब-तक मारते रहो जब-तक वे कलमा नहीं पढ़ ले''.
इस्लाम अनुयायी तो अपना काम बड़ी ही बुद्धिमानी से कर रहे
है वे हमारी बहन -बेटियों को भगाकर ले जा रहे है वह इस्लाम धर्म के प्रचार का एक
बड़ा हिस्सा है, वे मित्र बनाते है तो अपने काम को साधने के लिए ---- लेकिन यदि हिन्दू अपने
महापुरुषों की बात मानता तो यह भोगना नहीं पड़ता, गुरु गोविन्द सिंह कहते है.
''
जन विस्वास करौ तुरुक्का'-----
आगे कहा कि -------
तुरुक मिताई तब करै,
जब सबै हिंदु मरि जाय''.
लेकिन हिन्दू कैसा है वह सेकुलर बन
मुसलमानों को चिपकाये रहता है और धोखा पर धोका खाता रहता है यही हमारी नियति है.
बड़े ही योजना बद्ध तरीके से हिन्दू
समाज को नीचा दिखाने का काम हो रहा है यदि कोई हिन्दू लड़का किसी मुसलमान लड़की
लेकर आता है तो पूरा इस्लाम में खतरा उत्पन्न हो जाता है सरकार को भी इसमें
सांप्रदायिकता नज़र आने लगती है ये केवल हिंदुत्व की बात नहीं है यह धीरे -धीरे
भारत को कमजोर करने की साजिस है आज सारे विश्व में इस्लाम आतंकबाद का पर्याय हो
गया है भारत में इस्लाम को प्रेम-मुहब्बत का धर्म बताया जा रहा है लेकिन मदरसों की
शिक्षा का प्रभाव अब दिखाई देने लगा है, अभी मुहर्रम पर लोहरदगा [झारखण्ड] में जुलुस निकालते हुए ''हम बाबरी मस्जिद वही बनायेगे के नारे लगाये''
पूरे बिहार में सरकार की तुष्टिकरण निति के कारन जहा ५-६
फुट लम्बी तलवार, भाला, काता, फरसा लेकर प्रदर्शन किया वही मुसलमानों का मनोबल इतना बढ़
गया कि पचासों स्थान पर हिन्दू समाज पर हमला किया एकतरफा दंगा करने का प्रयास
शिवहर में पुलिस अधिकारियो पर हमला इसका सबूत है. यदि यह होता रहा तो धीरे-धीरे
मुसलमानों का मनोबल और बढेगा फिर २-३ साल में हिन्दुओ पर हमला करना तेजी से शुरू
कर देगे दंगे मुसलमानों और पुलिस के बीच होकर हिन्दुओ को लड़ने की प्रेरणा स्वयं
मुसलमान ही आवाहन करेगे तब हिन्दू कहा तक भागेगा यह बिचार करने समय आ गया है,
मुसलमानों का अंतिम उद्देश्य भारत का इस्लामी करण ही
है भारतीयों को बिचार करना है की क्या
विश्व में जो इस्लामिक देश है वे बड़े सुखी -संपन्न है-?
या आतंकबादी या और कुछ -----?