मित्रों पिछले दो लेखों में सीमा समझौते का इतिहास वर्तमान एवं भारत के पक्ष के बाद आगे बढ़ते हुए जान लें की बांग्लादेश के लिए क्यों जरुरी था ये समझौता:
बांग्लादेश में जब से शेख हसीना सरकार आई है वो प्रोइण्डिया(भारत के पक्ष की) सरकार मानी जाती है. यदि आप याद कर सके तो आसाम में सक्रीय उल्फा नाम के संगठन का एक समय बहुत आतंक था और वो बांग्लादेश में ट्रेनिंग कैम्प और गतिविधिया चलाता था. शेख हसीना सरकार ने उल्फा के सभी ट्रेनिंग कैम्प ध्वस्त करके उसके चीफ अरविन्द राजखोवा समेत उल्फा के सभी टाप कमांडर्स को बांग्लादेश में पकड़ कर हिन्दुस्थान के हवाले कर दिया, जिनकी गिरफ्तारियां भारत के विभिन्न सीमावर्ती क्षेत्रों से दिखाई गयी. इसके अलावा बांग्लादेश में भारतीय इन्क्लेव्स में बसने वालों मुसलमानों को बांग्लादेश सरकार कोई सुविधा नहीं देती थी क्युकी वो भारतीय सीमा में थे. इन दो मुद्दों समेत भारत के पक्ष में खड़े होने के कारण कट्टर इस्लामिक ताकते और विपक्ष की नेता बेगम खालिदा जिया ने पाकिस्तान के शह पर शेख हसीना को घेरना शुरू कर दिया था अतः इस समझौते को आधार बना कर शेख हसीना अगले चुनाव में ये कह सकेंगी की सभी भारतीय इन्क्लेव बांग्लादेश के हुए और उसमे बसने वालों को बांग्लादेश सरकार सभी सुविधाएं देगी.इस समझौते के लिए शेख हसीना मोदी की कोई भी शर्त मानने को तैयार थी. शेख हसीना के बेटे का मोदी के अगवानी में आना भविष्य के नए समीकरण का संकेत दे रहा है.
चूकी शेख हसीना इसके बदले में भारत के साथ किसी भी सीमा तक सहयोग हेतु तैयार थी अतः भारत ने कुछ और समझौते किये जो सामरिक दृष्टि से भारत को सुरक्षित करने के लिए अत्यंत आवश्यक थे. जिसमे चीन के "string of pearls" योजना के दो बंदरगाह भारत को देना था जिसका विस्तृत विवरण पिछले लेख में दिया गया है।
चीन किस हद तक बांग्लादेश में घुसा है इसका दूसरा उदाहरण इस प्रकार समझ सकते हैं की जब 2002 के लगभग भारत में शोपिंग माल कल्चर आ रहा था उस समय तक चीन ने बांग्लादेश के कई हिस्सों में अपने खर्च से बड़े बड़े शोपिंग माल्स का निर्माण करा के अपनी स्थिति मजबूत करते हुए भारत को एक तरह से बांग्लादेश से बाहर कर के,बांग्लादेश को भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र बना दिया था.. इन सबको ध्यान में रखते हुए मोदी ने लगभग २२ समझौते किये.. चीन का व्यापारिक आधिपत्य तोड़ने और भारतीय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारत ने बांग्लादेश को 2 बिलियन डालर की क्रेडिट लाइन दी है इसके अंतर्गत भारत सरकार द्वारा निर्धारित किये क्षेत्र के सामान 2 बिलियन डालर तक बांग्लादेश को क्रेडिट अर्थात उधार पर दिए जायेंगे शर्त ये है की वो सामान भारत में बने हो। “MAKE IN INDIA” मुहीम को इससे बढ़ावा मिलेगा और 50 हजार रोजगार के अवसर तुरंत उत्पन्न हो जायेंगे. इसके साथ ही साथ हम वही सामान देंगे जिसके निर्यात में हम सक्षम हैं. मोदी ने बांग्लादेश से इस बात पर भी सहमती ले ली है की बांग्लादेश भारतीय कंपनियों के लिए SEZ बनाने के लिए जमीन देगा और उस SEZ में सिर्फ भारतीय कम्पनियाँ ही अपनी यूनिट लगा सकती हैं. इस SEZ के माध्यम से चीन क बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने की दिशा में एक कदम आगे और भारत बढेगा।।
एक अन्य समझौते के तहत भारत की जीवन बिमा कंपनी LIC(भारतीय जीवन बीमा निगम) को बांग्लादेश में व्यापार की अनुमति मिल गयी है अर्थात अब LIC अपना व्यापार पडोसी देश में भी कर सकेगी.
भारत के दृष्टि से एक अन्य महत्त्वपूर्ण बात जिसपर समझौता हुआ है वह है कोलकत्ता ढाका अगरतला बस सेवा और ढाका शिलोंग गुवाहाटी बस सेवा: पूर्व में 1650 किलोमीटर की दुर्गम एवं पहाड़ी दूरी तय करके दो दिन में कोलकत्ता से अगरतला पहुचना होता था अब इस बस सेवा से दुरी लगभग 500 किलोमीटर कम हो जाएगी तथा रास्ते भी अपेक्षाकृत सुगम होंगे. और अब 14-16 घंटे में यात्री कोलकत्ता से अगरतल्ला पहुच सकेंगे.इसका सीधा असर व्यापार और दैनिक गतिविधियों पर पड़ेगा. भारतीय संसाधनों और समय की बचत होगी..
यदि समेकित रूप से भारत के पक्ष से इसका विश्लेषण किया जाए तो ये दौरा नरेंद्र मोदी के किसी भी अन्य दौरे से ज्यादा सफल है क्युकी बांग्लादेश में होने वाली हर गतिविधि भारत की आंतरिक स्थिति पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव डालती है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस शानदार उपलब्धी हेतु बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं..
आशुतोष की कलम से