India is the cradle of the human race, the birthplace of human speech, the mother of history, the grandmother of legend and the great grand mother of tradition.
-Mark Twain
भारतभूमि, मानव प्रजाति की पालनकर्ता
है, मानवीय वाणी की जन्मस्थली है, इतिहास
की माता है, दिव्य-गाथाओं की दादी है और परमपराओं की पर-दादी
है।
-मार्क ट्वेन
समय की गणना के लिए प्राचीन भारतीयों ने दुनिया को समय की सबसे छोटी
इकाई से लेकर सबसे बड़ी इकाई प्रदान की:
Unit | Equivalent | Equivalent |
Krati | 34,000th of a second | |
1 Truti | 300th of a second | |
2 Truti | 1 Luv | |
2 Luv | 1 Kshana | |
30 Kshana | 1 Vipal | |
60 Vipal | 1 Pal | |
60 Pal | 1 Ghadi | 24 minutes |
2.5 Gadhi | 1 Hora | 1 Hour |
24 Hora | 1 Divas | 1 Day |
7 Divas | 1 Saptaah | 1 Week |
4 Saptaah | 1 Maas | 1 Month |
2 Maas | 1 Rutu (season) | |
6 Rutu | 1 Varsh | 1 Year |
100 Varsh | 1 Shataabda | 1 Century |
10 Shataabda | 1 Sahasraabda | 10 Centuries or 1000 Years |
432 Sahasraabda | 1 Yuga | 4320 Centuries or 432000 Years |
10 Yuga | 1 Mahayuga | 43200 Centuries or 4320000 Years |
1000 Mahayuga | 1 Kalpa | 43200000 Centuries or 4.32 Billion Years |
भारतीय काल गणनाओं में तीन chronologies आज तक प्रचलित है:
1.
कलिय्ब्दा: जो कलियुग
के शुरू होने के साथ शुरू होती है, यानी 5107 वर्ष पुरानी।
2.
कल्पब्दा: जो वर्तमान
कल्प "श्वेतवर कल्प" के शुरुआत के साथ शुरू होती है यानी 1,971,221,107 वर्ष पुरानी।
3.
सृश्ब्द: जो ब्रह्माण्ड
के निर्माण के साथ शुरू होती है यानी 155,521,971,221,107 वर्ष पुरानी।
अभी बहुत सी ऐसी काल-गणना प्रणालियाँ हैं जो इसाई क्रोनोलोज़ी से बहुत पुरानी हैं:
Chronology | Antiquity in years |
Roman | 2,753 |
Greek | 3,576 |
Turkish (new) | 4,294 |
Chinese (new) | 4,360 |
Hindu (Kalyabda) | 5,106 |
Jewish | 5,764 |
Iran (new) | 6,008 |
Turkish (old) | 7,610 |
Egyptian | 28,667 |
Iran (old) | 189,971 |
Chinese (old) | 96,002,301 |
Hindu (Kalpābda) | 1,971,221,106 |
Hindu (Sŗşābda) | 155,521,971,221,106 |
पश्चिम में Hippocrates (460 – 377 BC) को Father of
Medicine कहा जाता है लेकिन उनसे पहले 500 BC में
महर्षि चरक ने एक प्रसिद्ध किताब 'चरक संहिता' लिखी थी। चरक-संहिता विस्तार से 8 मुख्य चिकित्सीय
नियमों का वर्णन करती है -
1.
आयुर्वेद
2.
शल्य-चिकित्सा (surgery)
3.
शालक्य-चिकित्सा (head,
eye, nose, throat)
4.
काया-चिकित्सा (mental
health)
5.
कौमार्यभ्रुत-चिकित्सा
(pediatrics)
6.
अगाड़-चिकित्सा (toxicology)
7.
रसायन तंत्र (Pharmacology)
8.
वाजीकर्ण तंत्र (reproductive
medicine)
इसके अलावा चरक ने अपनी किताब चरक-संहिता में Anatomy
की जानकारी भी बहुत विस्तार से लिखी ,जिसमें
ह्रदय और परिसंचरण तंत्र की कार्य-प्रणाली का विस्तृत वर्णन सम्मिलित है।
चरक को अरब और roman दोनों जगहों पे
medical authority के रूप में सम्मान मिलता है।
शल्य-चिकित्सा: 300 प्रकार की शल्य-क्रियाएं और 25
प्रकार के शल्य उपकरण (Surgery: 300 different types
Operations, and 125 Surgical Instruments):
भारतीय विद्वान
वो पहले लोग थे जिन्होंने विच्छेदन (amputation),सिजेरियन(cesarean surgery) और कपाल शल्य(cranial
surgery) को व्यवहारिकता में लाया।
महर्षि सुश्रुत
ने सर्वप्रथम 600 BC में गाल की त्वचा का उपयोग नाक,कान ,होंठ के आकार
को ठीक करने के लिए प्लास्टिक सर्जरी (plastic surgery) में
किया।
उन्होंने अपने
निबंध सुश्रुत-संहिता में निम्न 8 प्रकार की शल्य चिकित्सायों का वर्णन किया है:
1.आहार्य (extracting
solid bodies),
2.भेद्य (excision),
3.इश्य (probing),
4.लेख्य (sarification),
5.वेध्य (puncturing),
6.विस्राव्य (extracting
fluids)
7.सिवया (suturing)
सुश्रुत ने 300
से भी ज्यादा शल्य क्रियाओं जैसे extracting solid
bodies, excision, incision, probing, puncturing, evacuating fluids and suturing
का अविष्कार किया।
भारतीय वे पहले
लोग थे जिन्होंने amputations (ख़राब अंग को ऑपरेशन से अलग करना), caesarean (ऑपरेशन से प्रसव कराना), cranall
surgeries (खोपड़ी का ऑपरेशन) 42 विधियों से सफलता पूर्वक किया।
उन्होंने 125 प्रकार के शल्य उपकरणों का उपयोग किया जैसे scalpels,
lancets, needles, catheters आदि।
यहाँ तक कि
सुश्रुत ने non-invasive surgical treatments (बिना चीर-फाड़ के
ऑपरेशन) , प्रकाश किरणों और ऊष्मा की सहायता से किया।
सुश्रुत और उनकी
टीम ने जटिल operatios जैसे मोतियाबिंद(cataract), कृत्रिम अंग(artificial limbs), प्रसव(cesareans),
अस्थि-भंग(fractures), मूत्राशय की पथरी(urinary
stones), प्लास्टिक सर्जरी (plastic
surgery) और मस्तिष्क सर्जरी(brain surgeries) भी किये।
चाणक्य के 'अर्थशास्त्र' में पोस्ट-मोरटम(Post mortems) और 'भोज-प्रबंध' में मस्तिष्क सर्जरी(brain surgeries) के बारे में लिखा है कि
राजा भोज 2 surgeons ने कैसे मस्तिष्क की गाँठ का सफलता
पूर्वक शल्य उपचार किया।
योग: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य (Yoga - Health of the Body and
Mind):
महर्षि पतंजलि
ने योग-सूत्र में, स्वस्थ रहने के लिए शारीरिक और मानसिक व्यायाम की
विपुल विधियां बतायीं।
व्यायाम से परे
योग का अर्थ होता है स्व-अनुशासन।
महर्षि पतंजलि
के अनुसार मानव के शरीर में कई मार्ग(channels) होते
हैं जिन्हें 'नाड़ी' कहते हैं और कई
केंद्र होते हैं जिन्हें 'चक्र' कहते
हैं। यदि इन पर नियंत्रण पा लिया जाये तो शरीर में छिपी ऊर्जा निखर आती है,
इस उर्जा को कहते हैं 'कुंडलीनी'.
कुंडलीनी के
जागरण से वो शक्तियां भी हमारे अन्दर आ जाती है जो सामान्य मनुष्य के वश के बाहर
होती हैं।
योग के चरण:(Stages of Yoga)
1.
यम (universal
moral commandments)
2.
नियम (self-purification
through discipline)
3.
आसन (posture)
4.
प्राणायाम (breath-control)
5.
प्रत्याहार
(withdrawal of mind from external objects)
6.
धारणा (concentration)
7.
ध्यान
(meditation)
8.
समाधी
(state of super-consciousness)
आयुर्वेद: दीर्घायु की विज्ञान (Ayurveda - the Science of
Longevity):
आयुर्वेद का
शाब्दिक अर्थ होता है: आयु-LIfe , वेद -Knowledge.
अन्य उपचार
पद्धतियों की तरह आयुर्वेद 'रोग के लक्षण'
पर काम नहीं करता बल्कि 'रोग के कारण' को दूर करने पे काम करता है।
आयुर्वेद में
अनेक प्रकार की प्राकृतिक औषधियां आती है। आयुर्वेद में सरल से लेकर जटिल रोगों के
समूल इलाज के लिए असंख्य जड़ी बूटियों का वर्णन है।
भरतनाट्यम
(Bharatanatyam):
भरतनाट्यम सबसे
पुरानी नृत्य कला (the oldest of the classical dance forms of India) है।लगभग
2000 वर्ष पुरानी।
भरतनाट्यम से ही अन्य सभी प्रकार की नृत्य कलाओं का जन्म हुआ।
संगीत,अभिनय,काव्य,प्रतिमा-रूपण,साहित्य के अनुपन संयोजन वाली ये कला हजारों वर्षों से शरीर, मन और आत्मा को अभिव्यक्त करने का मंचन करती रही है।
मार्शल
आर्ट्स की माता (Mother of Martial Arts):
बोद्धिधर्मा,
एक भारतीय बौद्ध भिक्षुक ने 5वीं
सदी में 'कलारी' को
जापान और चीन में प्रचलित किया। उन्होंने अपनी विद्या के मंदिर में सिखाई उस मंदिर
को आज Shaolin Temple कहते हैं।
चीन के लोग
उन्हें पो-टी-तामा बुलाते थे।उनकी सिखाई विद्या भविष्य में कराटे,
जुडो और कुंग फू के नाम से विकसित हुयी।
विभिन्न ग्रंथों में जगह जगह
पर बहुत सारे अस्त्र-सस्त्र का वर्णन आता है जैसे:
- इन्द्र
अस्त्र
- आग्नेय
अस्त्र
- वरुण
अस्त्र
- नाग
अस्त्र
- नाग
पाशा
- वायु
अस्त्र
- सूर्य
अस्त्र
- चतुर्दिश
अस्त्र
- वज्र
अस्त्र
- मोहिनी
अस्त्र
- त्वाश्तर
अस्त्र
- सम्मोहन
/ प्रमोहना
अस्त्र
- पर्वता
अस्त्र
- ब्रह्मास्त्र
- ब्रह्मसिर्षा
अस्त्र
- नारायणा
अस्त्र
- वैष्णव
अस्त्र
- पाशुपत
अस्त्र
ब्रह्मास्त्र ऐसा अस्त्र है जो अचूक होता है।
ब्रह्मास्त्र के सिद्धांत को समझने के लिए हम एक Basic
Weapon - चतुर्दिश अस्त्र का अध्ययन करते हैं जिसके आधार पर ही अन्य
अस्त्रों का निर्माण किया जाता है।
चतुर्दिश अस्त्र:
संरचना:
१.तीर
(बाण)के अग्र सिरे पे ज्वलनशील रसायन लगा होता है, और एक सूत्र के द्वारा इसका सम्बन्ध तीर के पश्च सिरे पे बंधे बारूद से
होता है.
२.तीर की नोक से
थोडा पीछे चार छोटे तीर लगे होते हैं उनके भी पश्च सिरे पे बारूद लगा होता है.
कार्य-प्रणाली:
१.जैसे
ही तीर को धनुष से छोड़ा जाता है, वायु के साथ घर्षण
के कारण,तीर के अग्र सिरे पर बंधा ज्वलनशील पदार्थ जलने लगता
है.
२.उस से जुड़े
सूत्र की सहायता से तीर के पश्च सिरे पे लगा बारूद जलने लगता है और इस से तीर को
अत्यधिक तीव्र वेग मिल जाता है.
३.और तीसरे चरण
में तीर की नोक पे लगे, 4 छोटे तीरों पे लगा बारूद भी जल उठता है और,
ये चारों तीर चार अलग अलग दिशाओं में तीव्र वेग से चल पड़ते हैं.
दिशा-ज्ञान
की प्राचीन जडें (Ancient root of Navigation):
navigation का अविष्कार 6000 साल पहले सिन्धु नदी के पास हो गया
था। अंग्रेजी शब्द navigation,
संस्कृत से बना है: navi -नवी(new);
gation -गतिओं(motions).
मोक्ष्यपातं:
सांप-सीढी का खेल (Mokshapat: Snake and Ladder
had its origin in India):
सांप-सीढ़ी का खेल भरत में 'मोक्ष
पातं' के नाम से बच्चों को धर्म सिखाने के लिए खेलाया जाता था।
जहां सीढ़ी
मोक्ष का रास्ता है और सांप पाप का रास्ता है।
इस खेल की
अवधारणा 13वीं सदी में कवि संत 'ज्ञानदेव'
ने दी थी।
मौलिक खेल में
जिन खानों में सीढ़ी मिलती थी वो थे- 12वां
खाना आस्था का था, 51वां खाना
विश्वास का, 57वां खाना उदारता का, 76वां
ज्ञान का और 78वां खाना वैराग्य का था।
और जीन खानों
में सांप मिलते थे वो इस प्रकार थे- 41 वां
खाना अवमानना का, 44 वां खाना अहंकार का, 49 वां खाना अश्लीलता का, 52 वां खाना चोरी का, 58 वां
खाना झूठ का, 62 वां खाना शराब पीने का, 69 वां खाना उधर लेने
का, 73 वां खाना हत्या का ,
84 वां खाना क्रोध का, 92 वां खाना लालच का, 95 वां खाना घमंड का ,99
वां खाना वासना का हुआ करता था। 100वें
खाने में पहुचने पे मोक्ष मिल जाता था।
1892 में
ये खेल अंग्रेज इंग्लैंड ले गए और सांप-सीढ़ी नाम से प्रचलित किया।
पांसा (Dice):
काफी पुराने
पुरातात्विक प्रमाण मिले हैं जिसमें हड़प्पा की खुदाई में कई स्थानों पर (Kalibangan,
Lothal, Ropar, Alamgirpur, Desalpur and surrounding territories) Oblong (लम्बे) पांसे मिले हैं। उनमें से कुछ ईसा से 3 सदी
पहले के हैं। पांसों के प्रमाण ऋग्वेद और अथर्ववेद में मिलते हैं।
Krishna and Radha playing chaturanga on an 8x8 Ashtāpada |
शतरंज का खेल (The Game of Chess):
शतरंज के खेल का
अविष्कार भारत ने किया था , इसका मौलिक नाम 'अष्ट-पदम्'
था।
उसके बाद आज से 1000
साल पहले ये खेल 'चतुरंग' नाम से खेला जाने लगा और फिर 600 AD में Persians
के द्वारा इसका नाम शतरंज रखा गया।
Map showing origin and diffusion of chess from India to Asia, Africa, and Europe, and the changes in the native names of the game in corresponding places and time |
ताश का खेल (The
Game of Cards):
ताश के खेल की
शुरुआत भारत में हुयी थी उसका मूल नाम 'क्रीडा
पत्रं' था।
पत्ते कपड़ों के
बने होते थे जिन्हें गंजिफा कहा जाता था। ये एक शाही खेल था,
इस मूल खेल में कई परिवर्तन होते गए और आज का 52 पत्तों वाला खेल निष्काषित हुआ।
इन महान देनों
के साथ साथ वेद प्राचीन भारत की सुव्यवस्थित सभ्यता के प्रमाण भी हैं।