नीम एक चमत्कारी
वृक्ष माना जाता है। नीम जो प्रायः सर्व सुलभ वृक्ष आसानी से मिल जाता है।
• नीम के पेड़ पूरे भारत में फैले हैं और हमारे जीवन से जुड़े हुए हैं। नीम एक
बहुत ही अच्छी वनस्पति है जो कि भारतीय पर्यावरण के अनुकूल है और भारत में बहुतायत
में पाया जाता है। भारत में इसके औषधीय गुणों की जानकारी हज़ारों सालों से रही है।
• भारत में एक कहावत प्रचलित है कि जिस धरती पर नीम के पेड़ होते हैं,
वहाँ मृत्यु और बीमारी कैसे हो सकती है। लेकिन,
अब अन्य देश भी इसके गुणों के प्रति जागरूक हो रहे हैं। नीम
हमारे लिए अति विशिष्ट वपूजनीय वृक्ष है। नीम को संस्कृत में निम्ब,
वनस्पति विज्ञान में 'आज़ादिरेक्ता- इण्डिका (Azadirecta-indica)
अथवा Melia azadirachta कहते है।
गुणयह वृक्ष अपने
औषधि गुण के कारण पारंपरिक इलाज में बहुपयोगी सिद्ध होता आ रहा है। नीम स्वाभाव से
कड़वा जरुर होता है, परन्तु इसके औषधीय गुण बड़े ही मीठे होते है। तभी तो नीम के
बारे में कहा जाता हैकी एक नीम और सौ हकीम दोनों बराबर है। इसमें कई तरह के कड़वे
परन्तु स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ होते है, जिनमे मार्गोसिं, निम्बिडीन, निम्बेस्टेरोल प्रमुख है।
नीम के सर्वरोगहारी
गुणों से भरा पड़ा है। यह हर्बल ओरगेनिक पेस्टिसाइड साबुन,
एंटीसेप्टिक क्रीम,
दातुन, मधुमेह नाशक चूर्ण,
कोस्मेटिक आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
नीम की छाल में ऐसे
गुण होते हैं, जो दाँतों और मसूढ़ों में लगने वाले तरह-तरह के बैक्टीरिया को पनपने नहीं देते
हैं, जिससे
दाँत स्वस्थ व मज़बूत रहते हैं।
चरक संहिता और
सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। इसे
ग्रामीण औषधालय का नाम भी दिया गया है। यहपेड़ बीमारियों वगैरह से आज़ाद होता है
और उस पर कोई कीड़ा-मकौड़ा नहीं लगता, इसलिए नीम को आज़ाद पेड़ कहा जाता है।
[1]भारत में नीम का
पेड़ ग्रामीण जीवन का अभिन्न अंग रहा है। लोग इसकी छाया में बैठनेका सुख तो उठाते
ही हैं, साथ ही इसके पत्तों, निबौलियों, डंडियों और छाल को विभिन्न बीमारियाँ दूर करने के लिए
प्रयोग करते हैं।
ग्रन्थ में नीम के
गुण के बारे में चर्चा इस तरह है :-निम्ब शीतों लघुग्राही कतुर कोअग्नी वातनुत।
अध्यः श्रमतुटकास
ज्वरारुचिक्रिमीप्रणतु ॥अर्थात नीम शीतल, हल्का, ग्राही पाक में चरपरा,
हृदय को प्रिय, अग्नि,वाट, परिश्रम, तृषा, अरुचि, क्रीमी, व्रण, कफ, वामन, कोढ़ और विभिन्न प्रमेह को नष्ट करता है।
[2]घरेलू उपयोगनीम के
वृक्ष की ठंण्डी छाया गर्मी से राहत देती है तो पत्ते फल-फूल,
छाल का उपयोग घरेलू रोगों में किया जाता है,
नीम के औषधीय गुणों को घरेलू नुस्खों में उपयोग कर स्वस्थ व
निरोगी बना जा सकता है।
इसका स्वाद तो कड़वा
होता है, लेकिन इसके फ़ायदे तो अनेक और बहुतप्रभावशाली हैं और उनमें से कुछ निम्नलिखित
हैं :--
• नीम के तेल से मालिश करने से विभिन्न प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
• नीम के तेल का दिया जलाने से मच्छर भाग जाते है और डेंगू ,
मलेरियाजैसे रोगों से बचाव होता ह
ै•
नीम की दातुन करने से दांत व मसूढे मज़बूत होते है और
दांतों में कीडा नहीं लगता है, तथा मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाता है।
• इसमें दोगुना पिसा सेंधा नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया,
दांत-दाढ़ का दर्द आदि दूर हो जाता है।
• नीम की कोपलों को पानी में उबालकर कुल्ले करने से दाँतों का दर्द जाता रहता
है।
• नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और चमकदार
होती है।
• नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर और पानी ठंडा करके उस पानी से नहाने से
चर्म विकार दूर होते हैं, और ये ख़ासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके
विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।
• चेचक होने पर रोगी को नीम की पत्तियों बिछाकर उस पर लिटाएं।
• नीम की छाल के काढे में धनिया और सौंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से मलेरिया रोग
में जल्दी लाभ होता है।
• नीम मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखने में अत्यन्त सहायक है। जिस वातावरण
में नीम के पेड़ रहते हैं, वहाँ मलेरिया नहीं फैलता है। नीम के पत्ते जलाकर रात को
धुआं करने से मच्छर नष्ट हो जाते हैं और विषम ज्वर (मलेरिया) से बचाव होता है।
• नीम के फल (छोटा सा) और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिशकी जाये तो
शरीर के लिये अच्छा रहता है।
• नीम के द्वारा बनाया गया लेप वालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम
झड़ते हैं।
• नीम और बेर के पत्तों को पानी में उबालें,
ठंण्डा होने पर इससे बाल,
धोयें स्नान करें कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बाल झडने
बन्द होजायेगें व बाल काले व मज़बूत रहेंगें।
• नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी
(कंजेक्टिवाइटिस) समाप्त हो जाती है।
• नीम की पत्तियों के रस और शहद को 2:1 के अनुपात में पीने से पीलिया में फ़ायदा
होता है, और इसको कान में डालने कान के विकारों में भी फ़ायदा होता है।
• नीम के तेल की 5-10 बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने सेज़्यादा पसीना
आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में बहुत फ़ायदा होता है।
• नीम के बीजों के चूर्ण को ख़ाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में
काफ़ी फ़ायदा होता है।
• नीम की निम्बोली का चूर्ण बनाकर एक-दो ग्राम रात को गुनगुने पानी से लें कुछ
दिनों तक नियमित प्रयोग करने से कब्ज रोग नहीं होता है एवं आंतें मज़बूत बनती है।
• गर्मियों में लू लग जाने पर नीम के बारीक पंचांग (फूल,
फल, पत्तियां, छाल एवं जड) चूर्ण को पानी मे मिलाकर पीने से लू का
प्रभावशांत हो जाता है।
• बिच्छू के काटने पर नीम के पत्ते मसल कर काटे गये स्थान पर लगाने से जलन नहीं
होती है और ज़हर का असर कम हो जाता है।
• नीम के 25 ग्राम तेल में थोडा सा कपूर मिलाकर रखें यह तेल फोडा-फुंसी,
घाव आदि में उपयोग रहता है।
• गठिया की सूजन पर नीम के तेल की मालिश करें।
• नीम के पत्ते कीढ़े मारते हैं, इसलिये पत्तों को अनाज,
कपड़ों में रखते हैं।
• नीम की 20 पत्तियाँ पीसकर एक कप पानी में मिलाकर पिलाने से हैजा़ ठीक हो जाता
है।
• निबोरी नीम का फल होता है, इससे तेल निकला जाता है। आग से जले घाव में इसका तेल लगाने
से घाव बहुत जल्दी भर जाता है।
• नीम का फूल तथा निबोरियाँ खाने से पेट के रोग नहीं होते।
• नीम की जड़ को पानी में उबालकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।
• छाल को जलाकर उसकी राख में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर लगाने से दाग़ तथा
अन्य चर्म रोग ठीक होते हैं।
साभार :Nisha
Dwivedi
• विदेशों में नीम को एक ऐसे पेड़ के रूप में पेश किया जा रहा है,
जोमधुमेह से लेकर एड्स,
कैंसर और न जाने किस-किस तरह की बीमारियों का इलाज कर सकता
है।नीम के उपयोग से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है,
आप सभी से निवेदन है
कि आप नीम जैसी औषधि का अपने घर में जरूर प्रयोग करे और देश के विकास में सहयोग दे
और स्वस्थ भारत और प्रगतिशील भारत का निर्माण करेऔर अपने धन को विदेशी कम्पनियों
के पास जाने से रोके
साभार: Nisha Dwivedi